जान लीजिए आज के दिन विशेषताएं, ये हैं "हनुमान" में निहित सिद्धियां



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जान लीजिए आज के दिन विशेषताएं, ये हैं "हनुमान" में निहित सिद्धियां
हनुमान जी का जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने की पौराणिक मान्यता
'ह शिव, आनन्द, आकाश एवं जल। 'नु
पूजन और प्रशंसा। 'मा श्रीलक्ष्मी और श्रीविष्णु।
'न बल और वीरता

चैत्र 25 शक संवत् 1944 चैत्री पूर्णिमा रात्रि 24
बजकर 25 मिनट तक। विक्रम संवत् 2079 सौर वैशाख मास की प्रविष्टे 3 रमजान 14 हिजरी संवत् 1443 (मु.) तद्नुसार 16 अप्रैल 2022 शनिवार उत्तरायण बसंत ऋतु। राहूकाल 09:07 से 10:44 बजे तक। हस्त नक्षत्र (दिन के 08 बजकर 17 मिनट तक) योग: हर्षण 26:44 तक। चन्द्रमा का संचरण तुला राशि में (रात्रि 19 बजकर 58 मिनट से) आज चैत्री पूर्णिमा, पूर्णिमा व्रत। श्री हनुमान जयंती, मेला सालासर धाम, बालाजी (राज.) नवपद भौली पूजा पूर्ण (जैन) वैशाख स्नान प्रारंभ। भद्रा 13:28 तक। 
ईस्टर सेटरडे। छत्रपति शिवाजी पुण्य दिवस। गुरु अंगददेव गुरु हरिकिशन पुण्य दिवस
(नवीन मत)। मेला महावीर जी पूर्ण। मन्वादि। कच्छपावतार। मंगल शतभिषा नक्षत्र में
10:58 बजे से। रवि योग 08:39 तक। मास पर्यन्त प्याऊ। जल सेवा स्थापित करें।

ज्योतिर्विद्  श्री विमल जैन

'रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र
पवनसुत नामा॥ वानरराज केसरी और माता
अंजनीदेवी के पुत्र भगवान् श्री हनुमान जी का
जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने की पौराणिक मान्यता है। प्रथम चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि तथा द्वितीय कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। हनुमान जयन्ती के पर्व पर श्रीहनुमानजी की भक्तिभाव, श्रद्धा व आस्था के साथ पूजा-अर्चना करने का विधान है। प्रख्यात ज्योर्तिविद् श्री विमल जैन ने बताया कि इस बार चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि शुक्रवार, 15 अप्रैल की अर्द्ध रात्रि के पश्चात 2 बजकर 25 मिनट पर लगेगी, जो कि शनिवार, 16 अप्रैल को  रात्रि 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। व्रत की पूर्णिमा का अनुष्ठान एवं स्नान-दान शनिवार, 16 अप्रैल को होगा। इस बार शनिवार, 16 अप्रैल को चित्रा नक्षत्र प्रात: 8 बजकर 40 मिनट से रविवार, 17 अप्रैल को 7 बजकर 17 मिनट तक
रहेगा। चित्रा नक्षत्रयुक्त चैत्र पूर्णिमा की विशेष
महिमा है। श्रीहनुमान जयन्ती का पावन पर्व
शनिवार, 16 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। शनिवार के दिन हनुमान जन्मोत्सव होने से यह पर्व और भी शुभ पुण्य फलदायी हो गया है। इस दिन व्रत उपवास रखकर श्रीहनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली बनी रहती है। 
पूजा का विधान—
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी
ने बताया कि प्रात: ब्रह्म मूहूर्त
में अपने आराध्य देवी-देवता
की पूजा-अर्चना करके व्रत
का संकल्प लेना चाहिए तथा
श्रीहनुमान जी के विग्रह को
चमेली के तेल या शुद्ध देशी घी एवं
सिन्दूर से शृंगारित करके विभिन्न
पुष्पों व तुलसी दल की माला से
सुशोभित करना चाहिए।
नैवेद्य में बेसन व
बूंदी का लड्डू, पेड़ा
एवं अन्य मिष्ठान्न व भींगा हुआ चना, गुण तथा
नारियल एवं ऋतुफल आदि अर्पित कर तत्पश्चात धूप-दीप के साथ उनकी विधि-विधानपूर्वक पूजा- अर्चना करके श्रीहनुमानजी की आरती करनी चाहिए। भगवान श्रीहनुमानजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए ॐ श्री हनुमते नम: मन्त्र का जप तथा रात्रि जागरण करना चाहिए। उनकी महिमा में विभिन्न स्तुतियां,
श्री हनुमान चालीसा, श्री
सुंदरकांड, श्री हनुमत्
सहस्रनाम, श्रीरामचरित मानस
का पाठ करना चाहिए। साथ
ही श्रीहनुमानजी से
स�बन्धित मंत्रों का जप
आदि करना लाभकारी रहता
है। आज के दिन व्रत रखकर
भगवान श्री हनुमान जी की
विशेष कृपा प्राप्त की जा
सकती है। 
पौराणिक मान्यता—
ज्योतिषविद् श्री विमल
जैन जी ने बताया कि
श्रीहनुमान जी के विराट
स्वरूप में इन्द्रदेव, सूर्यदेव, यमदेव, ब्रह्मदेव,
विश्वकर्मा जी एवं ब्रह्मा जी की शक्ति समाहित है।
शिवमहापुराण के अनुसार पृथ्वी, जल, वायु,
आकाश, सूर्य, चंद्रमा, अग्नि व यजमान—ये आठ
रूप शिवजी के प्रत्यक्ष रूप बतलाए गए हैं।
श्रीहनुमान जी ब्रह्म स्वरूप भगवान शिव के
ग्यारहवें अंश के रुद्रावतार भी माने गये हैं।
श्रीहनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है।
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि
एकाक्षर कोश के मतानुसार हनुमान शब्द का अर्थ
है—'ह शिव, आनन्द, आकाश एवं जल। 'नु
पूजन और प्रशंसा। 'मा श्रीलक्ष्मी और श्रीविष्णु।
'न बल और वीरता। भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान
जी अखण्ड जितेन्द्रियता, अतुलित बलधामता,
ज्ञानियों में अग्रणी आदि अलौकिक गुणों से स�पन्न
होने के कारण देवकोटि में माने जाते हैं।
विशेष— जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार
शनिग्रह की दशा, महादशा अथवा अन्तर्दशा का
प्रभाव हो तथा शनिग्रह की अढ़ैया या साढ़ेसाती
का प्रभाव हो, उन्हें श्रीहनुमानजी की विशेष पूजा-
अर्चना करनी चाहिए साथ ही व्रत भी रखना
चाहिए। आज के दिन व्रत रखने से भगवान श्री
हनुमान जी की विशेष कृपा तो मिलती ही है साथ
ही सर्वसंकटों का निवारण होता है जैसा कि
श्रीहनुमान चालीसा में वॢणत है—संकट कटै मिटै
सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा॥ ऐसी
मान्यता है कि भक्तशिरोमणि श्रीहनुमान जी अपने
भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते
हैं।

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