भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया



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बीकानेर! धर्मपरायण नगरी बीकानेर के शास्त्री नगर स्थित श्री वीर हनुमान वाटिका मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का मंगलवार को पांचवे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया! श्री वीर हनुमान वाटिका मंदिर समिति सचिव छाया गुप्ता ने बताया कि इस अवसर पर भक्तगणों ने सजीव झांकी सजाई, साथ ही कथावाचक महाराज अरुण कृष्ण व्यास के मुखारविंद से भगवान के प्राकट्य का प्रसंग हुआ, संपूर्ण पंडाल एवं मंदिर परिसर भगवान श्री कृष्ण के जयकारों से गुंजायमान हो गया! भक्त भक्ति एवं उल्लास में डूब, भावविभोर हो नृत्य करने लगे, बहुत सी महिलाओं- पुरुषों के नेत्र संगीतमय वृतांत सुन सजल हो गए, संपूर्ण पंडाल में पुष्पवर्षा होने लगी! महाराज अरुण कृष्ण व्यास ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था।वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था।

उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ 'माया' थीजिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- 'अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं।

तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।'उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण का जन्म हो गया और कंश के अंत का समय भी निर्धारित हो गया! कथा आयोजन समिति की सचिव छाया गुप्ता ने इस अवसर पर कथा का महत्व बताते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से व्यक्ति को संपूर्ण पापों से मुक्ति मिल जाती है! इसलिए जहां कहीं पर कथा आयोजन हो श्रवण लाभ लेना चाहिए! 

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