परमात्मा बुद्धि के प्रयोग से समझ नहीं आता बुद्धि के समर्पण से समझ आता है : पंडित विजय शंकर व्यास



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परमात्मा बुद्धि के प्रयोग से समझ नहीं आता बुद्धि के समर्पण से समझ आता
है : पंडित विजय शंकर व्यास

दिनांक 26 अप्रेल,2022, बीकानेर। केसर देसर सेवगों की गली उस्ता बारी के
अंदर स्थित थानवी जी कोटड़ी में स्वर्गीय बृजगोपाल थानवी की स्मृति में
आयोजित भागवत कथा के तृतीय दिवस पर कथा प्रवक्ता पंडित विजय शंकर व्यास
ने कथा के महात्म्य में को व्यक्त करते हुए बताया कि कथा ज्ञान को समृद्ध
करती है, कथा धन को भी समृद्ध करती है। जीवन में धन की ये सर्वोत्तम
सदुपयोगिता है। बड़ै-बड़े लोग हैं जो अति सामान्य हैं पर कथा ने उन्हें धन
समृद्ध किया। पर ये धन की परिभाषा अलग है। ये -
पायो जी मैनें राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी मेरे सद्गुरु, किरपा करि अपनायो।।
आप कथा सुनिए, आपका देखने का पर्सेप्सन बदलेगा। एक छोटा सा ही प्रयोग कर
लो, कथा सुनने के पहले वृन्दावन हो आओ और कथा सुनने के बाद वृन्दावन हो
आओ, तुम्हें वृन्दावन ही अलग-अलग सा दिखेगा। बात बदल जाएगी।
कथा हमारे जीवन में त्याग को समृद्ध करती है। अभ्यास करता है आदमी कि मन
इधर- उधर न जाए। खींच कर लाता है मन कथा में बैठो। कथा जीवन में त्याग को
समृद्ध करती है ये बहुत जरूरी है सूत्र हैं। जरा गहरा सोचने का अवसर
मिलता है जब आप कथा सुनते हो तो आपकी बुद्धि गम्भीर विचार करती है।
कथा हमारे जीवन में श्रद्धा समृद्ध करती है। कथा हमारे जीवन में सहनशीलता
समृद्ध करती है। जिसको हम धैर्य कहते हैं। धैर्य के बिना श्रवण सम्भव
नहीं। कथा हमारे जीवन में प्रेम समृद्ध करती है। प्रेम की जो एक अलग सी
परिभाषा है। उसमें जो श्रीकृष्ण चरणारविंद की परम प्रीति से सब कथा में
इकट्ठे हैं। कोई सुनने बैठा है, कोई सुनाने बैठा है।
भगवान से प्रेम भी किसी न किसी को कथा में ही होता है। रुक्मिणी जी कह रही हैं-
श्रुत्वा गुणान् भुवन सुन्दर श्रुणुवानतान्ते
हे भुवन सुन्दर! आपके गुणों को सुन सुनकर आपसे प्रेम कर बैठी हूँ।
गोपियाँ गोपीगीत के श्लोक में कहती हैं-
तव् कथाऽमृतम् तप्त जीवनम् कविभिरीडितम् कल्मशापहम्।
श्रवण मंगलम् श्रीमदाततम् भुवि ग्रणन्ति ते भूरिदा जनाः।।
कथा करुणा को भी समृद्ध करती है। कारुण्यात् सम्प्रकाशितम्।। आपके भीतर
स्वयं करुणा जगेगी। और एक बात और कहूँ वक्ता में करुणा न जगे तो वो कथा
ही नहीं कह सकता। कथा का आधार ही करुणा है। आपको कथा सुनते देखकर ही
परमात्मा के हृदय में करुणा जगती है तभी वो आता है।
कथा करुणा भी समृद्ध करती है, प्रेम को समृद्ध करती है, त्याग को समृद्ध
करती है, सहनशीलता को समृद्ध करती है, कथा श्रद्धा को समृद्ध करती है,
कथा धन को समृद्ध करती है और कथा ज्ञान को समृद्ध करती है। ये सब
समृद्धियाँ कथा से ही प्राप्त होती है।


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