बाजी पलट गई... अब तुम हमारी मजबूरी का फायदा नहीं उठा पाओगे... -------------------- अरमान नदीम

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बाजी पलट गई... 
अब तुम हमारी मजबूरी का फायदा नहीं उठा पाओगे... 

-------------------- अरमान नदीम





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कहानी
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बाजी पलट गई... 
अब तुम हमारी मजबूरी का फायदा नहीं उठा पाओगे... 
-------------------- अरमान नदीम

शहर से दूर राजपुर नाम का एक गांव था । गांव के लोग बड़े सीधे ,सच्चे ईमानदार थे ।गांव में सिर्फ एक ही दुकान थी जिसमें रोजमर्रा के सामान मिलते थे ।दुकान का मालिक लालकृष्ण था ,लेकिन गांव वाले उसे लाल जी कहकर पुकारते । लाल जी बड़ा ही लालची किस्म का इंसान था, पूरे गांव में एक बड़ी दुकान होने के कारण गांव वालो का बहुत फायदा उठाता था। वास्तविक कीमत से ज्यादा वसूल करता। गांव वालों की भी मजबूरी थी.
 गांव का एक आदमी जो काफ़ी दिनों बाद गांव आया था ,लाल जी के दुकान पर गया और उसने लालजी से साबुन का पैकेट मांगा तो लाल जी बोले - यह लो
 आदमी - कितने हुए
 लालजी- पचास
 आदमी- लेकिन शहर में तो चालीस रुपये लगते हैं ।
 लालजी- हां तो भाई शहर से जाकर ले लो ,यहां तो यही कीमत है । वो पचास रुपये देकर चला जाता है ।कुछ महीनों बाद उसका छोटा भाई शहर से अपनी पढ़ाई पूरी कर वापस गांव लौट आता है। उसका नाम अनिल था। अनिल पूरे गांव में सबसे पढ़ा-लिखा समझदार है और कुछ दिन गांव में रहने के बाद उसे लाल जी की बेईमानी भी समझ आ गई उसे गांव वालों की मजबूरी भी समझ आ गई ।उसने गांव वालों के लिए कुछ करने का सोचा और चला गया लाल जी की दुकान की तरफ।
अनिल- अरे लाल जी यह पर्ची पर लिखा सामान देना ।
 लालजी- हां अभी लो
 अनिल- लाल जी आप दुकान में बही खाते रखते हो क्या , मेरा खाता भी खोल दो ।
 लाल जी- रखते हैं लेकिन वक्त पर रुपया नहीं दिया तो ब्याज भी लगेगा
अनिल- लेकिन लाल जी ये सब कुछ आप अकेले कैसे कर लेते हो लाल जी- हां थोड़ी बहुत परेशानी आती है
 अनिल- आप अपनी दुकान में कंप्यूटर में इन सब खातों को लिखकर रख लो बहुत आसानी होगी ।
 लाल जी- लेकिन हमें कौन सा आता है चलाना
 अनिल- अरे मैं किस दिन काम आऊंगा मैं आपको इन सब चीजों में मदद कर दूंगा
 लालजी- तो ठीक है
 इस तरह अनिल लाल जी के बहुत करीब हो गया और थोड़े दिनों में ही लाल जी के व्यावसायिक राज जान लिए ।
 कुछ दिनों बाद जब लाल जी सुबह दुकान खोलने लगे तो दुकान के सामने लाल जी ने देखा कि सामने लोगों की भीड़ इतनी जमा थी जितना उनकी दुकान में सामान भी नहीं था । जब लाल जी ने गांव के आदमी से पूछा तो उसने कहा कि अब तुम हमारी मजबूरी का फायदा नहीं उठा पाओगे क्योंकि जो सामने दुकान है वहां सभी सामान मिलता है और वो भी वाजिब दामों में ।
और उस दुकान का मालिक था अनिल ।
लाल जी ने देखा अनिल हाथ उठाकर लाल जी का अभिवादन कर रहा था ।








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