‘होली के रंग-कवियों के संग’ में त्रिभाषा की रचनाओं ने रंग बिखेरे



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‘होली के रंग-कवियों के संग’ में त्रिभाषा की रचनाओं ने रंग बिखेरे

बीकानेर 14 मार्च 2022
स्वर श्रंगार कला केंद्र बीकानेर द्वारा नगर के जनकवि स्व बुलाकीदास बावरा एवं लोकप्रिय कवि-शायर गौरीशंकर आचार्य ‘अरुण’ को समपिर्त कायर्क्रम होली के रंग-कवियों के संग का आयोजन राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की अध्यक्षता, एवं कवयित्री डाॅ. मेघना शर्मा मुख्य अतिथि के साथ समाजसेवी एवं साहित्यानुरागी रामदेव अग्रवाल के विशिष्ठ आतिथ्य में स्थानीय महाराजा नरेंद्र सिंह अडिटोरियम नागरी भंडार स्टेशन रोड बीकानेर में कामयाबी के साथ संपन्न हुआ । 
    कार्यक्रम अध्यक्ष कमल रंगा ने अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए जहां स्व बुलाकीदास बावरा और स्व गौरीशंकर आचार्य अरुण की समृद्ध साहित्य सेवाओं का उल्लेख किया वहीं दोनों महान शख़्सियतों के सुपुत्रों क्रमश संजय पुरोहित और संजय आचार्य वरुण द्वारा अपने पिता की परंपरा को ख़ूबी के साथ आगे बढ़ाने के लिए उन्हें आशीवर्चन भी दिया । आपने काार्यक्रम के बारे में अपनी बात कहते हुए कहा कि आज के काार्यक्रम में काव्य की त्रिवेणी के रूप में जहां हिंदी का सौंदर्य, राजस्थानी की ठसक और उर्दू की मिठास देखने को मिली वहीं अनेक रंगों से रंगी रचनाओं के प्रस्तुतीकरण से तमाम रचनाकारों ने श्रोताओं को लुत्फ अंदोज़ कर दिया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कवयित्री डा. मेघना शर्मा ने अपनी मुक्त छंद रचनाओं से सुंदर भावों की सरिता प्रवाहित की । आपने इस बेहतरीन आयोजन के लिए संस्था को साधुवाद दिया । विशिष्ट अतिथि रामदेव अग्रवाल ने माया पइसा री रचना से सभी को प्रभावित किया ।
  कार्यक्रम आयोजक पूनम मोदी ने कहा कि स्वर श्रंगार कला केंद्र आगे भी साहित्य के क्षेत्र में जिन रचनाकारों ने उल्लेखनीय कार्य किया है उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करवाती रहेंगी साथ ही इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से नगर एवं प्रदेश के रचनाकारों को अवसर प्रदान करती रहेंगी । आपने कहा कि राजस्थानी एवं हिंदी फिल्मों में भी आज के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले रचनाकारों को अवसर प्रदान किया जाएगा । 
कार्यक्रम संयोजक क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि कार्यक्रम में स्व बुलाकीदास बावरा की एक से बढ़कर एक रचनाओं का प्रस्तुतीकरण संजय पुरोहित ने किया । संजय पुरोहित ने जब स्व बावरा जी की कालजयी रचना पणिहारी के सुंदर शब्दों सोनलिये सूरज री किरण आई जगावणनै/के चालो पाणी लावण नैै  का सस्वर वाचन किया तो श्रोता झूम उठे और वाह वाह की गूंज से सारा सदन गुंजायमान हो गया । फिर तो पुरोहित ने उनके गीतों की ऐसी सुरधारा बिखेरी कि श्रोता भी पुरोहित के साथ बावरा जी के गीत गुनगुनाने लगे ।
 कार्यक्रम में कीर्ति  शेष मशहूर गीतकार, शायर स्व गौरीशंकर आचाार्य ‘अरुण की रचनाओं का प्रस्तुतीकरण करते हुए उनके सुपुत्र युवा कवि संजय आचाार्य ’वरुण’ ने जब उनकी शायरी की ये पंक्तियां ‘धूप ठहरी कहां किसी छत पे/छाँव आनी है, छांव जानी है । ये इमारत बुलंद थी पहले/आज कहते सभी पुरानी है’ के सुंदर प्रस्तुतीकरण से श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी । आपने स्व अरुण जी की एक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाओं के वाचन से कार्ययक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की ।
    कार्यक्रम संयोजक शायर क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि संस्था ने नगर की दो ऐसी शख़्सियतों जिन्हें जनकवि का दर्जा मिला उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करवा कर एक उल्लेखनीय एवं सराहनीय कार्य किया है जिसके लिए संस्था बधाई की पात्र है, साथ ही संस्था ने पहल करते हुए रचनाकारों का सम्मान करने की परंपरा का भी बेहतरीन आग़ाज़ किया है ।
    स्वर श्रंगार कला केंद्र द्वारा कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित कवियों में झुंझुनूं से पधारे शेखावाटी अंचल के लोकप्रिय गीतकार बी. एल. सावन, जयपुर के युवा कवि शायर शफ़ीक़ वारसी, शायर बुनियाद हुसैन  जहीन, गीतकार राजेंद्र स्वर्णकार, कवि संजय पुरोहित, कवि संजय आचार्य  वरुण, शायर क़ासिम बीकानेरी, वरिष्ठ कवि मइनुदीन कोहरी ‘नाचीज’, युवा कवि विप्लव व्यास, ग्रामीण अंचल के युवा विजय कवि अक्कासर, विदुषी, बहु भाषाविद कवयित्री ड. चंचला पाठक एवं जुगल किशोर पुरोहित को स्वर श्रृंगार साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया । 
  कार्यक्रम में झुंझुनू से पधारे मेहमान कवि बी.एल. सावन ने जहां होली पर धमाल सुना कर माहौल को होली के रंगों से सराबोर कर दिया वहीं आपने अपनी रचना पापा क्यों नहीं आए की इन पंक्तियों होली गई अब आई दिवाली पापा क्यों नहीं आए की भावपूर्ण प्रस्तुति से शहीद की अबोध बच्ची की पुकार से श्रोताओं की आंखें नम कर दी । जयपुर से पधारे मेहमान शायर शफ़ीक़ अहमद वारसी ने अपनी शायरी से श्रोताओं से भरपूर ताारीफे़ं बटोरी । आपके शेर की हर पंक्ति पर श्रोता वाह-वाह करते रहे ।
  शायर क़ासिम बीकानेरी ने जहां अपने दोहे, मुक्तक और ग़ज़ल के जरिए होली की रंगत बिखेरी वहीं आपने अपनी मज़ाहिया हज़ल के प्रस्तुतीकरण से श्रोताओं को भरपूर हंसाया। आपने इन पंक्तियों से शहीदों की होली का मंज़र बख़ूबी पेश किया शहीद खेलते हैं अपने ख़ून की होली, उन्हीं की होती है यारो जुनून की होली/वो सरहदों पे बाज़ी जान की लगाते हैं, तभी तो खेलते हैं हम सुकून की होली । कार्यक्रम में ड.चंचला पाठक, राजेंद्र स्वणर्कार, संजय आचाार्य वरुण, संजय पुरोहित बुनियाद हुसैन ज़हीन, विजय कवि अक्कासर,विप्लव व्यास एवं जुगल किशोर पुरोहित ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं के प्रस्तुतीकरण से माहौल को होली एवं हास्य के रंग से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में इंद्रा व्यास, गिरिराज पारीक, इसरार हसन क़ादरी, नित्यानंद पारीक, संजय सांखला, आत्माराम भाटी, डा. मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान सहित अनेक प्रबुद्ध जन मौजूद थे ।
कार्यक्रम का सरस एवं सफल संचालन संजय पुरोहित और क़ासिम बीकानेरी ने संयुक्त रूप से किया ।

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