विभिन्न कला अनुशासकों के सृजनधर्मियों के बीच संवाद की कमी नहीं आनी चाहिए - रंगाजी और व्यासजी दो साहित्यिक विभूतियों का स्नेह मिलन



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विभिन्न कला अनुशासकों के सृजनधर्मियों के बीच संवाद की कमी नहीं आनी चाहिए - रंगाजी और व्यासजी

दो साहित्यिक विभूतियों का स्नेह मिलन
बीकानेर 23 मार्च । नगर की दो साहित्यिक विभूतियों का होली के बाद स्नेहपूर्ण साहित्यिक मिलन हुआ । बीकानेर के 87 वर्षीय वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकरजी व्यास "विनोद" जो तीन वर्षों से जोधपुर रहने लग गए हैं । साहित्यिक आयोजन में जब बीकानेर आए और साहित्य के शिखर पुरुष 90 वर्षीय लक्ष्मीनारायणजी रँगा के प्रति श्रद्धा अभिव्यक्त करते हुए तुरन्त उनसे मिलने उनके घर सुकमलायतन चले गए । 
    साहित्य की इन दो महान हस्तियों का अजूबा मिलन देख कमल रँगा, राजाराम स्वर्णकार, नेमचंद गहलोत और इला व्यास रोमांचित गए । जैसे बाल सखा आपस में लिपटकर मिलते हैं वैसे ही दोनों गले मिले । भवानीशंकरजी ने झुककर पांवों की तरफ हाथ बढ़ाया तुरन्त लक्ष्मीनारायणजी ने उन्हें बाहों में भर लिया । यह अकल्पनीय दृश्य कैमरे में कैद किया उनके सुपुत्र ने ।   
    फिर चला विमर्श का दौर जिसमें नगर की समृद्ध साहित्यिक परम्परा पर विस्तार से चर्चा हुई । व्यास एवं रँगा ने कहा कि विभिन्न कला अनुशासकों के सृजनधर्मियों के बीच संवाद की कमी नहीं आनी चाहिए । विशेष रूप से उन्होनें युवा पीढी एवं नव रचनाकारों को एक अच्छे पाठक होने की बात कहते हुए कहा कि वे अपनी परम्परा से हमेशा समृद्ध होते रहें । यह है बीकानेर की समृद्ध साहित्यिक परम्परा । जिसका सम्मान प्रत्येक नगरवासी करता है ।
 ✍🏻   राजाराम स्वर्णकार

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