स्व. नरपतसिंह सांखला की पुस्तक रंग जीवनी संग लोकार्पित हुई समारोह में त्रिभाषा की काव्य धारा बही



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स्व. नरपतसिंह सांखला की पुस्तक रंग जीवनी संग लोकार्पित हुई
समारोह में त्रिभाषा की काव्य धारा बही

बीकानेर 23 मार्च, 2022
   रंग जीवनी संग निबंध संग्रह अपनी कलात्मक शैली पाठकीय संम्प्रेषणता के कारण एक अलग महत्व रखती है। संग्रह में प्रेम चंद, तुलसीदास, मीरा आदि के व्यक्त्तित्व-कृतित्व को नई व्याख्या के साथ रचा गया है जो नवाचार है। यह उद्गार स्व. नरपतसिंह सांखला की पुस्तक ‘रंग जीवनी संग’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ उमाकान्त गुुप्त ने व्यक्त किए।
   स्व. नरपतसिंह सांखला स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय साहित्य समारोह के दूसरे दिन नागरी भण्डार में पुस्तक लोकार्पण एवं त्रिभाषा काव्य गोष्ठी रखी गई।
   समारोह को सानिध्य देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मदन केवलिया ने कहा कि स्व सांखला अनुभव के आकाश थे साथ ही उनके निबंध युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। समारोह के मुख्य अतिथि निदेशक अभिलेखागार डॉ महेन्द्र खड़गावत ने उन्हें समर्पित रचनाकार बताते हुए उनसे जुडे साहित्यिक प्रसंग साझा किए। समारोह के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि निर्मल शर्मा ने कहा कि स्व. नरपतसिंह सांखला की रचनाएं नव प्रयोग के साथ पात्रों की जीवनन्तता से पाठकों को रूबरू कराती है।
   समारोह में वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि स्व. सांखला को मौन साधक बताते हुए कहा कि स्व. सांखला के निबंध जीवनीपरक होते हुए भी गद्य विधा में अपना स्थान रखते है।
   लोकार्पित कृति पर आलोचनात्मक पत्रवाचन करते हुए युवा कवि आलोचक संजय आचार्य वरूण ने बताया कि आपके निबंध विशिष्ट है, जिनमें मुहावरों के प्रयोग तो है ही साथ ही शिल्प की कलात्मकता भी हैं। 
   प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए शिक्षाविद् संजय सांखला ने समकालीन साहित्य एवं स्व नरपत सांखला के संदर्भ में अनछूए पहलू बताते हुए साहित्यकारों को संस्कृति का पोषक बताया।
   संस्थान सचिव युवा शायर कासिम बीकानेरी ने बताया कि साहित्य समारोह में तीन पीढी के तीन भाषा के रचनाकारों ने त्रिभाषा काव्य गोष्ठी में हिन्दी के सौन्दर्य, उर्दू के मिठास एवं राजस्थानी की मठोठ से सैकड़ों श्रोता आनंदित होते रहे। 
   त्रिपाभाषा काव्य गोष्ठी में कमल रंगा, जाकिर अदीब, सागर सिदकी, विपल्व व्यास, निर्मल शर्मा, अमित गोस्वामी, डॉ संजू श्रीमाली, इन्द्रा व्यास, शरद केवलिया, कासिम बीकानेरी, मुक्ता तेलंग, इरशाद अजीज, प्रो. धीरज सैनी, गिरिराज पारीक, वली गौरी, सीमा तंवर, राजेन्द्र स्वर्णकार, जुगल पुरोहित, नेमचंद गहलोत, राजाराम स्वर्णकार, बाबूलाल छंगाणी, मदन जैरी, लीलाधर सोनी, शिव दाधीच, कपिला पालीवाल, प्रतिभा, कैलाश टाक, मोइनुदीन कोहरी, शिवश्ंाकर शर्मा, हरिशंकर व्यास सहित नगर के अनेक कवि शायरों में कविता के कई रंग बिखरते हुए काव्य रस से समारोह को कवितामय कर दिया।
   समारोह में अतिथियों का अभिनदंन शॉल, श्रीफल, प्रतिक चिह्न एवं उपहार के साथ किया गया। वहीं कवि शायरों का भी बतौर अतिथि सम्मान करते हुए प्रतीक चिह्न अर्पित किए गए।
   दो दिवसीय गरिमामय स्व सांखला को समर्पित साहित्य समारोह के समापन के साक्षी रहे नंदकिशोर सोलंकी, डॉ जगदीश सांखला, डॉ. अजय जोशी, राजेश रंगा, डॉ सुलक्षण दत्ता, मधुरिमा सिंह, आनंद चौबदार, रेखा चौबदार, शांति देवी, डॉ सुरेन्द्र तंवर डॉ सोहन सैनी, हरिनारायण आचार्य, फूलचन्द सोलंकी, इसरार हसन कादरी, इस्हाक गौरी, सुनीता विद्यार्थी, अनिता, ओम गहलोत, फूलचन्द, जेठमल, लता तंवर, डीडी पारीक, नित्यांनद, पारीक, गंगा बिशन बिश्नोई, कैलाश तंवर, विक्रम स्वामी, पुनमचंद सोनी, सदीक पंवार, फिरोज मो., रीता आहूजा, कुसुम सैनी, डॉ कृष्णा वर्मा, उर्मिला सोनी, छगन सिंह, सुशील पारीक सहित  गणमान्यों की सहभागिता रही। समारोह का संचालन युवा शायर कासिम बीकानेरी एवं गिरिराज पारीक ने किया तो सभी का आभार डॉ फारूक चौहान ने ज्ञापित किया।


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