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जयपुर : सिंधी अकादमी में साहित्यकार बोले -
महात्मा गाँधी की सिन्ध यात्रा से प्रेरित पदमश्री दादा हून्दराज दुखायल ने स्वाधीनता आन्दोलन के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर किया,
अमर शहीद हेमूं कालाणी ने बाल्यकाल में देश के लिये किया बलिदान
जयपुर, 31 जनवरी । राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत आज अकादमी कार्यालय झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर में 'आजादीअ जा शैदाई शहीद हेमूं कालाणी ऐं पदमश्री दादा हून्दराज दुखायल” विषयक मासिक अदबी गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डा खेमचंद गोकलानी ने की। गोष्ठी में वक्ताओं ने आजादी के आन्दोलन में अमर शहीद हेमूं कालाणी के बाल्यकाल में देश के लिये किये गये बलिदान एवं उनकी राष्ट्रभक्ति पर विस्तार से प्रकाश डाला। पदमश्री दादा हून्दराज दुखालय के बारे में बताते हुये वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गाँधी की सिन्ध यात्रा से प्रेरणा पाकर उन्होंने देश के स्वाधीनता आन्दोलन के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। दादा दुखायल द्वारा आजादी आन्दोलन में किये गये प्रयासो, साहित्य एवं लोक कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये भारत सरकार द्वारा पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्यकारों में जोधपुर के चरिष्ठ रंगकर्मी हरीश देवनानी, अजमेर के वरिष्ठ साहित्यकार डा हासो दादलानी, जयपुर की साहित्यकारा डा.गायत्री, टी.आर.शर्मा, वासुदेव मोटवानी, हेमनदास, हर्षा पंजाबी आदि ने हेमू कालाणी एवं हून्दराज दुखायल के योगदान को समर्पित काव्यपाठ एवं रचनापाठ किया।
गोष्ठी में सुरेश सिन्धु, रमेश रंगानी, वीना प्रियदर्शना, पूजा चांदवानी, रोमा चांदवानी, पार्वती भागवानी, नन्दिनी पंजवानी, गोपाल, डी.डी.ईसरानी, महेश किशनानी, हेमा मलानी, वंदिता आहूजा, नमीषा खेमनानी, अनुष्का रंगानी एवं सिन्धी भाषी साहित्यकार, पत्रकार, अकादमी के पूर्व सदस्य एवं समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंच संचालन श्री वासुदेव मोटवानी ने किया।
गोष्ठी के अन्त में स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान देने वाले देश के समस्त वीर-सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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