बीकानेर से खबर : कड़कनाथ मिले तो गांव में 30 परिवार हुए खुश

 *सीधी-सट्ट*


बीकानेर से खबर : कड़कनाथ मिले तो गांव में 30 परिवार हुए खुश


यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी: कावनी गाँव


अनुसूचित जाति परिवार के लिए मुर्गी पालन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण 


वेटनरी कॉलेज की पौल्ट्री यूनिट में भ्रमण  और 30 प्रशिक्षणार्थियों कड़कनाथ वितरित



कावनी गाँव : कड़कनाथ के साथ


बीकानेर, 21 जनवरी। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (नाहेप) के तत्वावधान में कावनी गाँव के अनुसूचित जाति परिवार के लिए आजीविका हेतु बैकयार्ड (घर के पीछे/ अनुपयोगी स्थान पर) मुर्गी पालन विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण आज समाप्त हुआ। नाहेप प्रभारी व अतिरिक्त निदेशक (बीज) डॉ. एन.के. शर्मा ने बताया की यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत गोद लिए गए गांव कावनी में मुर्गीपालन से उद्यमिता विकास की संभावनाओं देखते हुए यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम  20 से 21 जनवरी तक आयोजित किया गया। डॉ उपेंद्र कुमार एवं डॉ शंकर लाल की टीम ने कावनी गाँव 30 अनुसूचित जाति के ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान मुर्गी पालन के उन्नत तौर तरीके, उन्नत प्रजातियों, बीमारियों, प्रबंधन आदि के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षणार्थियों को वेटनरी कॉलेज के पोल्ट्री यूनिट का भ्रमण कराया गया जहां पर विषय विशेषज्ञों ने पोल्ट्री की अहम जानकारियाँ दी। इसके पश्चात कृषि विश्वविद्यालय पहुँचें। यहाँ कुलपति प्रो. आर पी सिंह ने 30 प्रशिक्षणार्थियों को एक मुर्गा व 2 मुर्गियों का सेट वितरित किया और कहा की मुर्गी पालन के प्रशिक्षण का लाभ उठाकर सफल उद्यमी बनेंगे।


     कुलपति प्रो. आर पी सिंह ने कहा की मुर्गी पालन कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है। कड़कनाथ की विशेषताएं बताई एवं जागरूक किया। सेहत की दृष्टि से कड़कनाथ बहुत स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। मूलत: मप्र के झाबुआ में पाये जाने वाले कड़कनाथ के अण्डे कीमत भी सामान्य मुर्गों के मुकाबले काफी ज्यादा लगभग रु 40/- के होती है क्योकि इसमें प्रोटीन की मात्रा बेहद ज्यादा पायी जाती है। एक मुर्गा लगभग रु 2000/- का आता है। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण द्वारा कावनी के युवक स्वरोजगार एवम स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो सकेंगे।


          मुर्गी पालन से बेरोजगार युवक युवतियां कम लागत में अपना रोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकते है तथा अपने परिवार का पालन पोषण कर सकते है। घर पर मुर्गी पालन में उसके रखरखाव वं भोजन पर कोई व्यय नहीं करना पड़ता क्योंकि खरपतवार की पत्तियां, घर का बचा हुआ भोजन, शाक सब्जियों के बेकार पत्ते, और बिखरा हुआ  अनाज आदि को मुर्गी पालन में काम में लिया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड दिशा निर्देशों व कोविड उपयुक्त व्यवहार (फेस मास्क और सोशल डिस्टेन्स) की पालना सुनिश्चित की गई।









Post a Comment

0 Comments