राजस्थानी में उत्कृष्ट बाल साहित्य लेखन हो रहा है- छंगाणी* *अकादमी की ओर से ‘राजस्थानी बाल साहित्य‘ विषयक संगोष्ठी आयोजित*



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 ✍🏻 *राजस्थानी में उत्कृष्ट बाल साहित्य लेखन हो रहा है- छंगाणी*
*अकादमी की ओर से ‘राजस्थानी बाल साहित्य‘ विषयक संगोष्ठी आयोजित*

बीकानेर, 11 नवम्बर। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने कहा कि राजस्थानी साहित्यकारों द्वारा उत्कृष्ट बाल साहित्य-सृजन किया जा रहा है।         
        छंगाणी शुक्रवार को राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से बाल दिवस के उपलक्ष्य में अकादमी सभागार में आयोजित ‘राजस्थानी बाल साहित्य‘ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी अत्यन्त प्राचीन व समृद्ध भाषा है। राजस्थानी में उत्तम बाल साहित्य सृजन किया जाए, जिसके अध्ययन से बच्चों का बेहतर मानसिक विकास हो सकेगा।
   अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि संगोष्ठी के दौरान राजस्थानी बाल साहित्य की दशा-दिशा, राजस्थानी भाषा की मान्यता पर गंभीर चर्चा के साथ-साथ कवियों-कवयित्रियों ने बाल कविताओं-गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी। अकादमी कोषाध्यक्ष राजेन्द्र जोशी ने कहा कि बाल साहित्य लेखन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व कठिन कार्य है। डॉ. शंकरलाल स्वामी ने आधुनिक विषयों पर बाल साहित्य लेखन की आवश्यकता जताई। डॉ. अजय जोशी ने कहा कि बच्चों के लिए विज्ञान, गणित आदि विषयों पर भी राजस्थानी में लेखन किया जाए। राजाराम स्वर्णकार ने राजस्थानी भाषा का मानक रूप निर्धारित करने की आवश्यकता व्यक्त की। मोनिका गौड़ ने कहा कि बाल साहित्य रोचक व ज्ञानप्रद हो, जिससे अधिकाधिक बच्चे लाभान्वित हो सकें। राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा कि बच्चों को मायड़ भाषा का ज्ञान दें। 
        डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि बालकों की मनःस्थिति को समझकर उसी के अनुरूप बाल साहित्य लेखन किया जाए। डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि बच्चों को मायड़ भाषा बोलने हेतु प्रोत्साहित किया जाए। इंजी. आशा शर्मा ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को राजस्थानी बाल गीत व कथाएं सुनाएं। इन्द्रजीत कौशिक ने कहा कि बच्चों को साहित्य लेखन हेतु प्रेरित किया जाए। डॉ. यज्ञेश नारायण पुरोहित ने राजस्थानी भाषा को शीघ्र मान्यता मिलने की आशा व्यक्त की। डॉ. श्यामा तंवर ने बताया कि अकादमी की पत्रिका ‘जागती जोत’ विद्यालयों के छात्रों तक पहुंच रही है जो सराहनीय कार्य है।
        कार्यक्रम का संचालन करते हुए संजय आचार्य ‘वरुण‘ ने राजस्थानी बाल साहित्य का इतिहास व चुनौतियों की विस्तार से चर्चा की।
बाल कविताओं-गीतों की प्रस्तुति- इस अवसर पर डॉ. शंकरलाल स्वामी, राजाराम स्वर्णकार, मोनिका गौड़, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, संजय आचार्य ‘वरुण‘, राजेन्द्र स्वर्णकार, डॉ. कृष्णा आचार्य, इंजी. आशा शर्मा ने मनमोहक बाल कविताओं-गीतों की प्रस्तुति दी।
       समारोह में सुशील छंगाणी, केशव जोशी, कानसिंह, मनोज मोदी, रणजीत कौशिक, मोहित गज्जाणी, नीरज शर्मा, आनन्द छंगाणी सहित बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित थे।
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